Considerations To Know About sidh kunjika
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सां सीं सूं सप्तशती देव्या मन्त्रसिद्धिं कुरुष्व मे ॥ १३ ॥
न सूक्तं नापि ध्यानम् च न न्यासो न च वार्चनम् ॥ २ ॥
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति दशमोऽध्यायः
देवी माहात्म्यं अपराध क्षमापणा स्तोत्रम्
इदं तु कुञ्जिकास्तोत्रं मन्त्रजागर्तिहेतवे ।
देवी वैभवाश्चर्य अष्टोत्तर शत नाम स्तोत्रम्
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देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति चतुर्थोऽध्यायः
सरसों के तेल का दीपक है तो बाईं ओर रखें. पूर्व दिशा की ओर मुख करके कुश के आसन पर बैठें.
कुंजिकापाठमात्रेण दुर्गापाठफलं लभेत्।
दकारादि दुर्गा अष्टोत्तर शत नामावलि
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति द्वितीयोऽध्यायः
देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति तृतीयोऽध्यायः
हुं हुं हुंकाररूपिण्यै जं जं जं जंभनादिनी ।